मृगत्रष्णा
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वस्तुत:बरेली के एक मुस्लिम छात्र द्वारा जो कुछ भी श्री आजमखान को प्रेषित किया गया उसमें उस बच्चे का कोई भी दोष नहीं है अगर कहीं कमी है तो ,उस वातावरण की जिसमें वह पल रहा है काश उसके माँ बाप और गुरु जन उसे यह शिक्षा दे पाते कि मुसलमान वह है जिसका ईमान पाक साफ हो न कि वह जो सिर्फ मुस्लिम होने का ढोंग करता हो।
धर्म निर्पेक्षता का अर्थ वह नहीं है जो वह समझता है धर्म निर्पेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों की मूल इकाई मनुष्य एक दूसरे से जोडना जो स्वयं ही देश की सीमाओं को तोड कर सभी को एक दूसरे से जोड देता है फलस्वरूप समस्त विश्व ही एक परिवार बन जाता है काश समाज के कर्णधार ऐसा कर पाते तो निश्चय ही उस बालक के अन्दर एक श्रेष्ठ मानव ने जन्म लेलिया होता।।
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